पुत्र के जन्म लेते ही,
घर में लहर ख़ुशी की छा जाती,
लेकिन कन्या इस धरती पर,
एक समस्या बन जाती.
कन्या तो होती भगवान,
तो क्यों करते उसका अपमान.
जितना है ये पुत्रो का संसार,
उतना ही है कन्याओं का घर बार.
ऐसा क्यों करते है लोग,
आपस में रखे सहयोग.
पर इन बातो का क्या करना है ,
प्रेम से जीवन में आगे बढ़ना है.
पुत्र हो या पुत्री,
सब का मालिक एक है ,
और हम उसके कठपुतली.