अंधेर घर में रोशीनी सी,
भारत के युवा थे वो,
सूखे पेड़ के हरे पत्ते सी,
आशा के किरण थे वो।
युवा के आदर्श थे,
बुजुर्गो की शान ,
बच्चो के दोस्त थे ,
भारतीयों की जान,
अंग्रेजो का यूँ शासन करना,
उन्हें नहीं भाता था,
भारतीयों का अंग्रेजो के अंदर काम करना ,
उन्हें नहीं सुहाता था।
गाँव -गाँव में घर -घर में,
आज़ादी का सन्देश देते थे,
भारत के कोने -कोने में,
लोगो को प्रेरणा देते थे।
रंग लायी उनकी ये मेहनत,
हो गया भारत स्वतंत्र,
बन गया भारतीयों में हिम्मत,
नहीं चला अंग्रेजो का तंत्र - मंत्र ,
दुश्मन के वो दुश्मन थे,
दोस्त के वो दोस्त ,
हर जगह ऊपर रहा है जिनका नाम,
वो है "सुभाष चन्द्र बोश ".